Book Your Pitra Dosh Puja
पितृ दोष के बारे में जानकारी
पितृ दोष क्या है?
जन्म लग्न कुंडली पर राहु और सूर्य एक साथ हो युति कर रहे हैं या एक दूसरे पर दृष्टि हो पित्र दोष होता है। और यदि नवम भाव पर हो तो यह भाग्य स्थान एवं पिता का स्थान भी माना जाता है इस जगह पर होने से पित्र दोष लगता है इसके निवारण के लिए आप को अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करना चाहिए या प्रतिदिन पीपल की पूजा करें चीटियों को खाना दे गरीबों की सेवा करें वृद्ध लोगों की सेवा करें ,और बहते पानी में नाग नागिन का जोड़ा प्रवाहित करने से पित्र दोष शांत होता है। इस दोष को कालसर्प दोष के नाम से भी जाना जाता है और यह 3 465 प्रकार के होते हैं।
जैसे आपके पुत्र पुत्री आपके संस्कारों पर न चलकर आपके अपमान का कारण बने, आपके लिए परेशानी का सबब एवं किसी बात को न माने
पितृ दोष के लक्षण
- परिवार में अचानक कलह और क्लेश होता है।
- परिवार के विवाह योग्य बच्चों का अविवाहित रहना।
- शुभ और मांगलिक कार्यों में बाधा।
- घर की दीवारों में दरारें और सीलन का आना।
- दांपत्य जीवन में क्लेश।
- बार-बार चोट लगना और दुर्घटनाओं का शिकार होना।
- गर्भपात होना या संतान का न होना, संतान में विकलांगता।
- खाने में बार-बार बाल निकलना।
- स्वप्न में पितरों का दर्शन और उन्हें कष्ट में देखना।
- नया व्यापार शुरू करने में कठिनाई आना।
पितृ दोष निवारण के उपाय
- पितृ पक्ष में पितरों को पिण्ड दान और ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
- श्रीमद्भगवद् गीता का पाठ करें।
- मोक्ष गायत्री का सवा लाख जप और हवन कराएं।
- त्रिपिंडी श्राद्ध कराएं।
- पीपल के पेड़ पर जल, पुष्प, दूध, गंगाजल और काला तिल चढ़ाएं और अपने स्वर्गीय परिजनों को याद कर उनसे माफी और आशीर्वाद मांगें।
- रविवार के दिन गाय को गुड़ या गेहूं खिलाएं।
- अमावस्या पर अपने पूर्वजों और पितरों के नाम से दवा, वस्त्र और भोजन का दान करें।
- शुक्ल पक्ष के रविवार के दिन सुबह सूर्य को तांबे के लोटे में जल, गुड़, लाल फूल और रोली डालकर अर्पण करें।
- माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा करें और उनसे आशीर्वाद लें।
- किसी गरीब कन्या के विवाह में मदद करें और किसी गरीब ब्राह्मण को पितृपक्ष में गौदान करें।
विशेष उपाय
यदि पितृ दोष परिवार के कई लोगों की कुंडली में है, और परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुई है या जिनकी मृत्यु का कोई ज्ञात कारण नहीं है, तो नागबलि और नारायण बली पूजा उज्जैन या त्र्यंबकेश्वर में करानी चाहिए।